आज हम गणेश चतुर्थी का उत्सव मना रहे हैं। हिंदू धर्म में, किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से होती है। भगवान गणेश को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना जाता है। शास्त्रों के हिसाब से, भगवान गणेश की उपासना से सभी विघ्न और बाधाएं स्थायी रूप से दूर हो जाती हैं। भगवान गणेश को “एकदंत” और “विघ्नहर्ता” के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि यदि भगवान गणेश की पूजा न की जाए, तो किसी भी कार्य का सफलतापूर्वक समापन संभव नहीं होता। धार्मिक आस्थाओं के अनुसार, भगवान गणेश को कार्यों के सफलता का दाता माना जाता है। यहां आप भगवान गणेश की आरती के बोल पढ़ सकते हैं।
Ganesh Ji Ki Aarti, भगवान श्री गणेश की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥ Ganesh Ji Ki Aarti